शुक्रवार, 12 मार्च 2010

मवेशियों पर मौत का साया

भास्कर न्यूज़ .करड़ा
मारवाड़ गोडवाड़ के पाली जालोर व सिरोही जिलों में इन दिनों पशुओं का निवाला ही उनको काल के ग्रास में धकेल रहा है। पिछले कुछ महीने में ही पाली, जालोर व सिरोही में ढाई सौ मवेशियों की मौत जहरीला चारा खाने से हो चुकी है। यह वह आंकड़ा है जो रिकार्ड में है, जबकि इक्का दुक्का मवेशी लगातार काल कलवित हो रहे हैं। मारवाड़ में कुछ सालों से पड़ रहे अकाल से एक तरफ पशुओं के लिए जहां चारे का संकट मडरा रहा है वहीं दूसरी और चारा खाने से हो रही पशुओं की अकाल मौतों ने पशुपालकों और गौशाला संचालकों के माथे पर चिंता की लकीरें उभर गई है। यह हालात अभी से हैं जबकि गर्मी शुरू हुई है। ऐसे में पानी व चारे के अभाव में आने वाले दिनों में यह समस्या और बढऩे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
यह चारा होता है जहरीला :
ऐसे खेत जहां ज्वार व अन्य हरे चारे की फसल प्रारंभिक अवस्था में ही है, पानी की कमी के कारण वह नहीं बढ़ पा रही है। ऐसा चारे में जहर फैला होने की संभावना अधिक रहती है। अरंडी के पत्ते खाने पर भेड़ बकरियों को रिजन पोइजन होने की संभावना रहती है। इसके खाने से जानवरों में 'आफरा हो जाता है जिससे वह अकाल मौत मर जाता है। दोषपूर्ण खेजड़ी के पत्ते पशुओं को खिलाने पर जहर हो जाता है। इसके पत्ते खाने से भी 'आफरा हो जाता है और पशु की अकाल मौत हो जाती है।
यूं भी फैलता है जहर :
किसानों की ओर से खेतों में कटाई के बाद कच्ची घास का चारा घरों या खेतों में जमा कर लिया जाता है। ढेर के बीच कुछ चारा सूख नहीं पाता, उस गीले चारे में जहर होता है। उसे खाने के बाद पशु को आफरे की शिकायत होती है। ऐसा अधिक चारा खाने पर पशु के बचने की संभावना कम रहती है।
चारे का संकट -
इलाकों में चारे का संकट होने लगा है। इस बार अकाल की छाया होने से यह परेशानी और बढऩे वाली है। मवेशियों पर आफतमौसम की मार के कारण कई जगहों पर चारा जहरीला हो गया है। इसके खाने से मवेशियों की मौत हो रही है।हताशा में पशुपालकमवेशी मरने से पशुपालक परेशान है। राज्य सरकार, प्रशासन या अन्य कहीं से न तो सहायता मिल रही है और न कोई समाधान
कब -कब आई मवेशियों पर आफत
पाली जिला
31 दिसम्बर: पाली में चारा खाने से 12 गायें अचेत हुईं इसमें 6 गायों ने दम तोड़ दिया।
4 मार्च : पाली जिले के बाली क्षेत्र के कोटबालियान गांव में 18 भेड़ों की मौत हो गई।
8 मार्च : जिले खिवाड़ा गांव में एक ऊंट की मौत हो गई।
जालोर जिला
14 नवंबर 09: को जालोर जिले के सियाणा क्षेत्र के देलदरी गांव में करीब 250 भेड़ बकरियां अचेत हो गईं जिसमें से 31 ने दम तोड़ा।
8 जनवरी: भीनमाल के निकट श्री गोपाल कृष्ण गौशाला में दो दिनों में 16 बछड़े काल का ग्रास बने।
04 फरवरी : जालोर जिले के जसवंतपुरा क्षेत्र के उचमत गांव में 35 भेड़ बकरियों की मौत हो गई।
सिरोही जिला
21 जनवरी: सिरोही जिले के सरूपगंज गांव स्थित कांशीविश्वनाथ गौशाला में दो दिनों में 95 गायों की मौत हुई।
16 फरवरी: सिरोही जिले में शिवगंज क्षेत्र के नया जोयला गांव में 44 भेड़े काल का ग्रास बनीं।
इसी प्रकार पोसिंतरा में 4 गायों ने दम तोड़ा।
जागरूकता की आवश्यक्ता
कुछ माह में पशुओं की मरने की घटनाएं आम जन को विचलित करने वाली हैं। अधपका चारा जो कम पानी का होता है वह अधिकतर जहरीला होता है। इसके अलावा अरंडी व दोषपूर्ण खेजड़ी के पत्ते भी पशुओं के लिए खतरा बन रहे हैं।
गौशाला संचालकों को बाहर से लाई जाने वाली घास को धोकर अल्प मात्रा में खिलाना चाहिए। इसमें पशुपालकों के साथ जनता को भी जागरुक रहने की आवश्यकता है।
—डॉ। प्रेमसिंह मेड़तिया, उप निदेशक, पशुपालन विभाग, पाली,
पशुपालक बरतें सावधानी -
गन्ने में गुलकोज की मात्रा अधिक होती है यह पशु के पेट में जाकर लेक्टिक एसिड बनाता है इससे आफरा होता है साथ ही सुजन आकर पशु तान खाकर मर जाता है। ऐसे में गन्ना कुत्तर कर उसमें दूसरा चारा मिक्स कर खिलाना चाहिए। कच्ची ज्वार या चारा जो कम पानी का हो उसमें साइनोग्लाइको साईन होताहै यह हाइड्रोसाइनिक अम्ल बनता है उससे पशु मर जाता है। इसका पशुपालकों को ध्यान रखना चाहिए।-
डॉ। सुभाष कच्छवाहा, विषय विशेषज्ञ, पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान, कृषि विज्ञान केंद्र काजरी पाली
यह करें सामान्य उपचार -
यदि अरंडी के खेत में पौधे खाने से पशुओं को 'आफरा हो जाए और मरने लगे तो पशुपालक प्रारंभिक अवस्था में पशुओं को खट्टी छाछ पिलावें।हरा मक्का या चारा खाने पर यदि पशु बीमार पड़े तो उसे प्रारंभिक अवस्था में 'सिरका देना चाहिए।दूसरे राज्यों से लाया जाने वाला या खेतों से लाया जाने वाला हरा चारा धोकर साफ कर पशुओं को खिलावें। बिना पानी वाला चारा पशुओं को नहीं खिलावें।पशुओं को एक साथ अधिक मात्रा में चारा नहीं खिलावे, बल्कि धीरे— धीरे चारे की मात्रा बढ़ा कर खिलावें।अरंडी के खेत में पशुओं को चारा नहीं खिलावें। दोषपूर्ण खेजड़ी के पत्ते भी पशुओं को नहीं खिलावें।यदि पशुओं को गन्ने का चारा खिलाया जा रहा है है तो उसे कुत्तर कर दूसरा चारा मिक्स करके खिलावें।अरुजिया की पक्की फली पशु को नहीं खिलावें। इससे जहर बन जाता है और पशु मर जाता है। इसके बचाव के लिए चारकोल पिलाना चाहिए।

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