बुधवार, 10 मार्च 2010

बेंच पर लेटकर दे रही आठवीं बोर्ड की परीक्षा

bhaskar news . करड़ा .
टूटी हुई मुंडेर पर जल रहे चिराग ने आंधियों को चुनौती दी। उसका हौसला देखकर आंधियों के हौसले भी पस्त हो गए। हर्षिता ने भी मन में तालीम की इच्छा के चिराग को बुझने नहीं दिया और बाधाओं की आंधियां भी हार मानकर चली गईं।
फॉयसागर रोड स्थित स्कूल में आठवीं कक्षा की परीक्षा दे रही हर्षिता कुर्सी-टेबल पर बैठ पाना तो दूर चलने-फिरने से भी मोहताज है, वह बेंच पर लेट कर परीक्षा दे रही है। कुदरत की इस नाइंसाफी पर हर्षिता को रंज नहीं है, कोई उसके हौसले को दाद देता है, तो कोई सहानुभूति के बोल सुनाकर उसे हौसला देता है, इन सब से बेखबर परीक्षा देने में मशगूल है क्योंकि यह तो उसकी मंजिल का एक पड़ाव मात्र है।
आदर्शनगर निवासी विकास जैन की दो संतानों में सबसे बड़ी तेरह वर्षीय हर्षिता जन्म से ही मेनिगोसिल नामक बीमारी की चपेट में है। उसके कमर से नीचे का शरीर निष्क्रिय है। जन्म से लेकर अब तक उसका समय बेड या फिर स्ट्रेचर पर ही बीता है। इसके बावजूद हर्षिता में तालीम पाने की ललक गजब की है।
परिजनों ने प्राइवेट स्कूल में उसके दाखिले की कोशिश की, लेकिन स्कूल में उसका दाखिला नहीं हो पाया, नतीजतन हर्षिता को फायसागर रोड स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में भर्ती कराया गया। परिजन हर्षिता को वेन में लेटाकर स्कूल लाते-ले जाते हैं। पिछले दिनों रात-दिन पढ़ाई के लिए शरीर के आधे हिस्से पर जोर देकर बैठने की कोशिश में उसके शरीर पर छाले हो गए।
लेकिन हर्षिता ने हिम्मत नहीं हारी। वह लेटकर परीक्षा देने की जिद पर अड़ गई। परिजनों और अध्यापकों ने उसकी मदद में कोई कसर नहीं छोड़ी। परीक्षा केन्द्र फायसागर रोड स्थित रामेश्वरम विद्यापीठ उच्च माध्यमिक विद्यालय में हर्षिता को लेटने के लिए बेंच मुहैया कराई गई है। वह बेंच पर औंधी हालत में लेटकर प्रoA पत्र हल कर रही है। उसके चेहरे पर शिकन नहीं बल्कि सुकून है, निराशा के दलदल से निकल कर ऊंची उड़ान भरने का सुकून हर्षिता के चेहरे पर साफ झलक रहा है।
घरवाले हैं प्रेरक
हर्षिता को हौसलों की उड़ान भरने के लिए उसके घरवाले प्रेरक की भूमिका बखूबी निभा रहे हैं। पिता विकास जैन डिस्कॉम में जेईएन हैं तथा मां रीटा सरकारी स्कूल में अध्यापिका। माता-पिता नौकरी पेशा होने के कारण हर्षिता ननिहाल में रह रही है। हरिभाऊ उपाध्याय नगर निवासी नाना सज्जनसिंह मेहता और उनका परिवार हर्षिता की हर जरूरत पूरी करता है। हर्षिता को लगातार उड़ने की प्रेरणा भी परिजनों से मिल रही है।
आईएएस है मंजिल
हर्षिता आईएएस अफसर बनना चाहती है। इस सपने को पूरा करने के लिए वह पूरी लगन से अध्ययनशील है। हर्षिता के मामा अभय मेहता बताते हैं कि हर्षिता का ज्यादातर समय कम्प्यूटर पर बीतता है। सीखने की ललक उसके मन में है। पढ़ाई में वह होशियार है।

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