शनिवार, 1 मई 2010

चोर गिरोह का खुलासा, 8 बाइक जब्त

भास्कर न्यूज़.करड़ा
सांचौर पुलिस ने बुधवार को एक मोटरसाइकिल चोरी के आरोपी को गिरफ्तार कर उसकी निशानदेही से आठ मोटरसाइकिल बरामद की हंै। पुलिस इस आरोपी पर पिछले कई दिनों से नजर रख रही थी। पुलिस को उम्मीद है कि पूछताछ के बाद अभी अन्य वाहनों की चोरी के मामले भी सामने आएंगे साथ ही आरोपी के अन्य साथियों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।
एसपी एलएन मीणा ने बताया कि क्षेत्र में वाहनचोरी के मामलों के खुलासे के लिए डीएसपी जयपालसिंह यादव एवं थानाधिकारी दलपतङ्क्षसंह भाटी के नेतृत्व में उप निरीक्षक अमरसिंह भायल, कांस्टेबल देवाराम, जगराम, किशनाराम और कालुदान की टीम गठित की गई। टीम ने मुखबिर से सूचना के आधार पर सरवाना थाना क्षेत्र के बिछावाड़ी निवासी श्रवणकुमार पुत्र मानाराम विश्नोई पर नजर रखी तो उसकी गतिविधियां संदिग्ध लगी। इस पर पुलिस ने उसे बुधवार को बिछावाड़ी से गिरफ्तार कर पूछताछ की तो उसके कब्जे से चोरी की एक मोटरसाइकिल बरामद हुई। पूछताछ में उसने सांचौर कस्बे व अन्य जगह से मोटरसाइकिल चोरी कर बेचना कबूल किया। पुलिस ने उसकी निशान देही पर बुधवार को अलग-अलग स्थानों पर दबिश देकर ८ चोरी की मोटरसाइकिलें बरामद कीं जिनमें से ५ मोटरसाइकिलें संाचौर कस्बे से चुराई हुई थीं।
साथी की तलाश :
पूछताछ के दौरान अभी वाहन चोरी के अन्य मामले भी खुलने की संभावना है। अभी तक आरोपी ने अपने एक साथी सुनील पुत्र रघुनाथ विश्नोई निवासी अमरापुरी बिछावाड़ी का नाम बताया है। इसकी तलाश की जा रही है।
पुलिस की कार्रवाई पर संदेह :
बुधवार को पुलिस आरोपी श्रवणकुमार की सूचना पर चितलवाना थाना क्षेत्र के डावल गांव से भी एक युवक को थाने लाई थी। पुलिस ने बुधवार रात को उससे पूछताछ भी की, लेकिन गुरुवार दिन को चोरी की मोटरसाइकिल जब्त कर उसे छोड़ दिया गया। डावल से दबोचा गया यह युवक अपने आप को एक संगठन का अध्यक्ष बताता है। पुलिस का कहना है कि यदि इस युवक की भूमिका सामने आई तो उसे गिरफ्तार किया जाएगा।
इनका कहना
पकड़े गए आरोपी से की गई पूछताछ के आधार पर डावल गांव से एक युवक को पूछताछ के लिए थाने लाया गया था। उसे गुरुवार को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया है। यदि चोरी में इस युवक की कोई भूमिका पाई गई तो गिरफ्तार कर कार्यवाही की जाएगी।
दलपतसिंह भाटी, थानाधिकारी, सांचौर
४ से ५ हजार तक में बेचते थे
आरोपी चोरी की गई मोटरसाइकिल को औने पौने दामों में ही बेच देते थे। बेचने से पहले ये मोटरसाइकिल पर विभिन्न स्टीकर इत्यादि चिपकाकर तथा नाम व दूसरे फर्जी नंबर लिखकर उसमें थोडा बदलाव कर देते थे। जिससे ये आसानी से पकड़ में नहीं आ सकते थे। इसके बाद ये चोरी की मोटरसाइकिले अपने नेटवर्क के जरिये अलग-अलग स्थानोंं पर ४ से ५ हजार रूपयों में बेच देते थे।

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